
BriefHistory

गुरुकुल स्थापना
इस इलाके में बालिकाओं की शिक्षा का अलग से कोई प्रबंध नहीं था। आसपास के ग्रामीण बुजुर्गों के मन में विचार आया कि इस इलाके में इस प्रकार की कोई संस्था होनी चाहिए,जहां निर्धन परिवारों की बालिकाएं भी कम खर्च में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। इस विचार को लेकर क्षेत्र के लोग एकत्रित हुए और अपने विचार-विमर्श के पश्चात गांव मोर माजरा की भूमि पर आर्य कन्या गुरुकुल मोर माजरा के नाम से दिनांक 05-01-1973 को श्री सुरजीत सिंह मान जी (करनाल) की अध्यक्षता में माता जानकी देवी जी के कर कमलों द्वारा स्थापना की। इस इलाके में कन्याओं की शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हेतु इस संस्था का निर्माण किया गया हैं । बिजली, पंखे, पानी, भोजन व आवास का पूर्ण प्रबंध किया गया हैं । यह गुरुकुल पानीपत-असंध वाया गोली राजमार्ग पर पवित्र, सुंदर, प्राकृतिक गांव मोर माजरा से 2 किलोमीटर पूर्व में मुख्य सड़क पर स्थित हैं
गुरुकुल की मान्यता
वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय 10+2 तक हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी से तथा विशारद शास्त्री कुरुक्षेत्र वि.वि से मान्यता प्राप्त हैं। यहां के सभी परीक्षा परिणाम हमेशा सहारनिय, सर्वोत्तम और शत-प्रतिशत रहते हैं।
गुरुकुल के उद्देश्य
1.महर्षि दयानंद के सिद्धांतों पर बालिकाओं के लिए गुरुकुल की स्थापना करना ।
2.कन्याओं में समाज सेवा तथा स्वावलंबन की भावना उत्पन्न करना ।
3.वैदिक धर्म की आदर्श अध्यापिका व पुरोहित तैयार करना ।
4.गोरक्षा तथा शुद्धि प्रचार।
5.वर्णाश्रम व्यवस्था को पुनर्जीवित करना ।
6.नारी जाति में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना ।
7.मेधावी निर्धन कन्याओं को निशुल्क शिक्षा देना।
8.वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिए ब्रह्मचारिणी, विदुषी उपदेशीकाएं तैयार करना ।
9.धार्मिक उत्सवों के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों का विनाश तथा आर्य विचारधारा की स्थापना करना ।